Thought

"Be with us to save mankind from paying for Oxygen in near future", Plant at least one tree every year...

Monday 14 May 2012

Bachpan (childhood)

वो दिन कितने अच्छे थे । जब हम छोटे बच्चे थे ।। 
         मस्ती में खेलना, निडर घूमना। मन के हम कच्चे थे ।
वो दिन कितने अच्छे थे । जब हम छोटे बच्चे थे ।।
       दिन गुजरे कुछ इस तरह, सूरज डूबा जिस तरह । हम अभी मन के कच्चे थे ।
वो दिन कितने अच्छे थे । जब हम छोटे बच्चे थे ।।
बच्पन गया जवानी आई, साथ में सामाजिक बेड़ियाँ लाई । मन के हम अभी तक कच्चे थे ।
वो दिन कितने अच्छे थे । जब हम छोटे बच्चे थे ।।
         समाज और ज़िमेदारी का ये कैसा मेल । टूट गई बच्पन की वो रेल । अब नहीं हम बच्चे थे ।
वो दिन कितने अच्छे थे । जब हम छोटे बच्चे थे ।।
         वो दिन आ नहीं सकते चाहे कर दो कुछ भी सेल ।
         बच न पाता कोई यहाँ, प्रकृति का ये कैसा खेल । हम जब मासूम और सच्चे थे ।
 वो दिन कितने अच्छे थे । जब हम छोटे बच्चे थे ।
         शिकवा करें किस से इस नियम कठोर का ।
         छोड़ी हुई मंज़िल को जोड़ता नहीं सिरा किसी डोर का । हम जब सबके अच्छे थे ।  
वो दिन कितने अच्छे थे । जब हम छोटे बच्चे थे ।
वो दिन कितने अच्छे थे । जब हम छोटे बच्चे थे ।।

3 comments:

  1. Welcome to bloggers word ...
    Great job sir .. i am happy ....finally you Post ... beautiful done sir .. :)
    All the best ...

    ReplyDelete